​मेरी ख़्वाहिश है कि... ​मेरी ख़्वाहिश है कि फिर से मैं फ़रिश्ता हो जाऊँ; माँ से इस तरह लिपट जाऊं कि बच्चा हो जाऊँ; कम-से कम बच्चों के होठों की हंसी की ख़ातिर; ऐसी मिट्टी में मिलाना कि खिलौना हो जाऊँ; सोचता हूँ तो छलक उठती हैं मेरी आँखें; तेरे बारे में न सोचूं तो अकेला हो जाऊँ; चारागर तेरी महारथ पे यक़ीं है लेकिन; क्या ज़रूरी है कि हर बार मैं अच्छा हो जाऊँ; बेसबब इश्क़ में मरना मुझे मंज़ूर नहीं; शमा तो चाह रही है कि पतंगा हो जाऊँ; शायरी कुछ भी हो रुसवा नहीं होने देती; मैं सियासत में चला जाऊं तो नंगा हो जाऊँ।

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