मैं उसके चेहरे को... मैं उसके चेहरे को दिल से उतार देती हूँ; मैं कभी कभी तो खुद को भी मार देती हूँ; ये मेरा हक़ है कि मैं उसको थोडा दुःख भी दूं; मैं चाहत भी तो उसे बेशुमार देती हूँ; खफा वो रह नहीं सकता लम्हा भर भी; मैं बहुत पहले ही उसको पुकार लेती हूँ; मुझे सिवा उसके कोई भी काम नहीं सूझता; वो जो भी करता है मैं सब हिसाब लेती हूँ; वो सभी नाज़ उठाता है मैं जो भी कहती हूँ; वो जो भी कहता है मैं चुपके से मान लेती हूँ।
Like (0) Dislike (0)
Your Comment