​ये आलम शौक़... ये आलम शौक़ का देखा न जाये; वो बुत है या ख़ुदा देखा न जाये; ये किन नज़रों से तुम ने आज देखा; के तेरा देखना ​देखा ​ना जाये; हमेशा के लिये मुझ से बिछड़ जा; ये मन्ज़र बारहा देखा न जाये; ग़लत है जो सुना पर आज़मा कर; तुझे ऐ बावफ़ा देखा न जाये; ये महरूमी नहीं पास-ए-वफ़ा है; कोई तेरे सिवा देखा न जाये; यही तो आश्ना बनते हैं आख़िर; कोई नाआश्ना देखा न जाये; फ़राज़ अपने सिवा है कौन तेरा; तुझे तुझ से जुदा देखा न जाये।

Your Comment Comment Head Icon

Login