​वो तो ख़ुश्बू है... वो तो ख़ुश्बू है हवाओं में बिखर जायेगा; मसला फूल का है फूल किधर जायेगा; हम तो समझे थे के एक ज़ख़्म है भर जायेगा; क्या ख़बर थी के रग-ए-जाँ में उतर जायेगा; वो हवाओं की तरह ख़ानाबजाँ फिरता है; एक झोंका है जो आयेगा गुज़र जायेगा; वो जब आयेगा तो फिर उसकी रफ़ाक़त के लिये; मौसम-ए-गुल मेरे आँगन में ठहर जायेगा; आख़िरश वो भी कहीं रेत पे बैठी होगी; तेरा ये प्यार भी दरिया है उतर जायेगा।

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