दिल में अब यूँ... दिल में अब यूँ तेरे भूले हुए ग़म आते है; जैसे बिछड़े हुए काबे में सनम आते है; रक़्स-ए-मय तेज़ करो साज़ की लय तेज़ करो; सू-ए-मैख़ाना सफ़ीरान-ए-हरम आते है; और कुछ देर न गुज़रे शब-ए-फ़ुर्क़त से कहो; दिल भी कम दुखता है वो याद भी कम आते है; इक इक कर के हुये जाते हैं तारे रौशन; मेरी मन्ज़िल की तरफ़ तेरे क़दम आते है; कुछ हमीं को नहीं एहसान उठाने का दिमाग; वो तो जब आते हैं माइल-ब-करम आते है।
Like (0) Dislike (0)
Your Comment