एक दोस्त हलवाई की दुकान पर मिल गया मुझसे कहा-
आज माँ का श्राद्ध है माँ को लड्डू बहुत पसन्द है
इसलिए लड्डू लेने आया हूँ मैं आश्चर्य में पड़ गया
अभी पाँच मिनिट पहले तो मैं उसकी माँ से सब्जी मंडी में मिला था
मैं कुछ और कहता उससे पहले ही खुद उसकी माँ हाथ में झोला लिए वहाँ आ पहुँची
मैंने दोस्त की पीठ पर मारते हुए कहा भले आदमी ये क्या मजाक है
माँजी तो यह रही तेरे पास दोस्त अपनी माँ के दोनों कंधों पर हाथ रखकर हँसकर बोला
भई बात यूँ है कि मृत्यु के बाद गाय कौवे की थाली में लड्डू रखने से अच्छा है
कि माँ की थाली में लड्डू परोसकर उसे जीते जी तृप्त करूँ
मैं मानता हूँ कि जीते जी माता-पिता को हर हाल में खुश रखना ही सच्चा श्राद्ध है

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