समुन्दर के किनारे बैठा करो; कोई न कोई लहर तो आयेगी; किस्मत न बदली तो क्या हुआ? कम से कम शकल ही धुल जायेगी! शुभ दिवस!
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समुन्दर के किनारे बैठा करो; कोई न कोई लहर तो आयेगी; किस्मत न बदली तो क्या हुआ? कम से कम शकल ही धुल जायेगी! शुभ दिवस!
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