आजकल कहाँ वफा का सिला देते है लोग
अब तो मोहब्बत की स़जा देते है लोग
पहले सजाते है दिलों मे चाहतों का ख्वाब
फिर एतबार को आग लगा देते है लोग
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आजकल कहाँ वफा का सिला देते है लोग
अब तो मोहब्बत की स़जा देते है लोग
पहले सजाते है दिलों मे चाहतों का ख्वाब
फिर एतबार को आग लगा देते है लोग
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