इस कदर जो आपको हँसा रहा हूँ मैं; न समझना कोई रिश्ता बना रहा हूँ मैं; स्वार्थ है मेरा और स्वार्थी हूँ मैं; बस अपनी अर्थी के पीछे चलने वालो की तादाद बढ़ा रहा हूँ मैं।

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