जीना है मोहब्बत अपनी आँखों को बनकर ये ज़ुबान कितने अफ़साने सुना लेते है
जिनको जीना है मोहब्बत के लिए अपनी हस्ती को मिटा लेते है
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जीना है मोहब्बत अपनी आँखों को बनकर ये ज़ुबान कितने अफ़साने सुना लेते है
जिनको जीना है मोहब्बत के लिए अपनी हस्ती को मिटा लेते है
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