यूनानी मिश्र और रोमी सब मिट गये जहाँ से; अब तक मगर हैं बाकी नाम-ओ-निशा हमारा; कुछ बात हैं के हसती मिटती नहीं हमारी; सदियों रहा हैं दुश्मन दौर-ए-जहाँ हमारा।
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यूनानी मिश्र और रोमी सब मिट गये जहाँ से; अब तक मगर हैं बाकी नाम-ओ-निशा हमारा; कुछ बात हैं के हसती मिटती नहीं हमारी; सदियों रहा हैं दुश्मन दौर-ए-जहाँ हमारा।
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