रूह के रिश्तों की ये गहराइयाँ तो देखिये​;​ चोट लगती है हमें और चिल्लाती है माँ​;​ चाहे हम खुशियों में माँ को भूल जायें दोस्तों​;​ जब मुसीबत सर पे आ जाए तो याद आती है माँ।

Your Comment Comment Head Icon

Login