सितम मेरे दिल पे वो यूँ ढाती रही
रात भर वो बेवफा याद आती रही
चाहता था जिसे में खुद से भी ज़्यादा
वो मूझे दर्द दे दे कर आज़माती रही
चिराग़-ए-दिल बुझाना चाहता था
वो मुझको भूल जाना चाहता था
मुझे वो छोड़ जाना चाहता था
मगर कोई बहाना चाहता था

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