सोचा की आज फिर से महोब्बत कर लूँ
फिर से उनकी आँखे अपनी आँखों से पढ लूँ
उनकी हर बात पर मैं ऐतबार कर लूँ
पर जब आँख खुली तो वो एक सपना था
वो दूर जा चुका था जो कल तक अपना था
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सोचा की आज फिर से महोब्बत कर लूँ
फिर से उनकी आँखे अपनी आँखों से पढ लूँ
उनकी हर बात पर मैं ऐतबार कर लूँ
पर जब आँख खुली तो वो एक सपना था
वो दूर जा चुका था जो कल तक अपना था
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