कुछ तो बेवफाई मुझमे भी है
जिंदा हुँ मे तेरे बगैर

मुद्दतो बाद उस लापरवाह ने, हाल पूछ के बेहाल कर दिया..

काम आते हैं मुझ को सारे मगर
इक तुझे भूलना नहीं आता

मेरी नीँदे उड़ाने वाले . . . .
अब तेरे ख्वाब कौन देखेगा .

और क्या देखने को बाक़ी है
आप से दिल लगा के देख लिया

दिल मेरा कूछ टूटा हुआ सा है
उससे कूछ रुठा हुआ सा है

मरने का मज़ा तो तब है
जब कातिल भी जनाजे पे आकर रोये

हम जिसे अपना चाँद कहते थे उसने तारे दिखा दिए दिन में

जाने क्या सोचकर नहीं गुजरा
एक पल रातभर नहीं गुजरा

एक बार खुदा की होकर तो देख
फिर जानेगी तू अपना हुनर ...!!!

जब भी होती है गुफ्तगु खुद से
तेरा जिक्र जरूर आता है

मै उन्हे बदला हुआ दिखता हुँ
कभी वो खुद को भी तो देखे

तुम पुकारो तो एक बार मुझे
मौत की हद से भी लौट अाऊंगा...

नफ़रत सी हो गई हैँ इस दुनिया से, एक तुम से मोहब्बत करके॥

किन चिरागों की बात करते हो
सब चिरागों तले अँधेरा है