जाता हूँ तेरे डर से
मुझको तुम भुला देना
हो सके तो ऐसा भी करना
बहुत दिनों तक इल्ज़ाम ना देना

अब तो सजाएं बन चुकीं है गुजरे हुए वक्त की यादें
ना जानें क्यों मतलब के लिए मेहरबान होते है लोग

बीत जाती है जिसकी पूरी रात सिसकियों मे.
वो शख्स दिन के उजालों में सारे जहाँ को हँसाता फिरता है..

इश्क मुकम्मल कब हुआ है जो आज होगा
इतिहास गवाह है किताबो भी अंधुरा है और हकिकत में भी अंधुरा है.!!

उम्र और ज़िन्दगी में
फर्क बस इतना...
जो तेरे बिन बीति,
वो उम्र
जो तेरे साथ बीति,
वो ज़िन्दगी..

उस दिन से हमें तुमसे कोई शिकायत नहीं रही; जब तुमने कह दिया था कि अब तुम्हे हमसे मुहब्बत नहीं रही।

हमारे ज़खमों की दवा भी वो हैं
नमक ज़खम पे लगाऐं भी तो क्या हुआ
महोब्बत करने की वजह भी तो वो हैं

ये जो खुद को तेरी महफिल में अकेला खडा पाता हूँ मैं
अपने दोस्तो से बिछड़ जाने की सजा पाता हूँ मैं

इतनी वफ़ादारी ना कर किसी से यूँ मदहोश होकर
दुनिया वाले एक खता के बदले सारी वफ़ाएं भुला देते है
=RPS

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बचपन में मेरे दोस्तों के पास घड़ी नही थी, लेकिन समय सबके पास था। आज सबके पास घड़ी है पर समय नहीं।

​मेरी तकदीर को बदल देंगे मेरे बुलंद इरादे​;​मेरी किस्मत नहीं मोहताज मेरे हाँथों की लकीरों की​..

मैं जब भी अपनी पुरानी स्कूल की इमारत के बगल से गुज़रता हूँ
सोचता हूँ मुझे बनाकर खुद टूट सी गयी है

उनको डर है कि हम उन के
लिए जान नही दे सकते,
और मुझे खोफ़ है कि
वो रोएंगे बहुत मुझे आज़माने के बाद..

जरूरी नही हर समय जुबा पर भगवान का नाम आये |वो लम्हा भी भक्ति का होता हैजब इन्सान इन्सान के काम आये ||

तुम खुश-किश्मत हो जो हम तुमको चाहते है वरना
हम तो वो है जिनके ख्वाबों मे भी लोग इजाजत लेकर आते है