अब तो सजाएं बन चुकीं है गुजरे हुए वक्त की
यादें ,
.
ना जानें क्यों मतलब के लिए मेहरबान होते
है लोग
अब तो सजाएं बन चुकीं है गुजरे हुए वक्त की
यादें ,
.
ना जानें क्यों मतलब के लिए मेहरबान होते
है लोग
गुफ्तगुँ करते रहा कीजिए,
यही इंसानी फितरत है।
वरना बंद मकानों में
अक्सर जाले लग जाते हैं...।
💕☝
आदमी आदमी को क्या देगा जो भी देगा वही खुदा देगा; जिंदगी को क़रीब से देखो इसका चेहरा तुम्हें रुला देगा।
हमारा बस चले तो हम उसे अपने जुतो के पास खडा कर दे
लेकिन क्या करु कंबख्त हम जुते भी Branded पहनते हैं
खामोश बैठे हैं तो लोग कहते हैं उदासी अच्छी नहीं; और ज़रा सा हंस लें तो लोग मुस्कुराने की वजह पूछ लेते है।
मुझे कुछ अफ़सोस नहीं के मेरे पास सब कुछ होना चाहिए था; मै उस वक़्त भी मुस्कुराता था जब मुझे रोना चाहिए था।
किसी ने पूछा कौन याद आता है अक्सर तन्हाई में
हमने कहा कुछ पुराने रास्ते खुलती ज़ुल्फे और बस दो आँखें
मोबाइल के एक फोल्डर में तेरी तस्वीरें इकठ्ठा की है मैंने
बस इसके सिवा और ख़ास कुछ जायदाद नहीं है मेरी
शायरी लिखना बंद कर दूंगा अब मैं यारो
मेरी शायरी की वजह से दोस्तों की आँखों में आंसू अब देखे नहीं जाते
कल का दिन किसने देखा है आज का दिन हम खोएँ क्यों
जिन घड़ियों में हँस सकते हैं उन घड़ियों में रोएँ क्यों
उसके लिए दर-दर पे फरियाद कर के रोए
उसकी खुशी के लिए उसे छोड़ दिया
फिर उसे किसी और के साथ आबाद कर के रोए
कल का दिन किसने देखा है आज का दिन हम खोएँ क्यों
जिन घड़ियों में हँस सकते हैं उन घड़ियों में रोएँ क्यों
मुझे कुछ अफ़सोस नहीं कि मेरे पास सब कुछ होना चाहिए था
मै उस वक़्त भी मुस्कुराता था जब मुझे रोना चाहिए था
मेरे दिल्ल की उम्मीद का जरा सा होंशला तो देखो यारो
उम्र भर की इन्तजार की बात कर रहा जिसको अहसास तक नही
जब जेब में रुपये हो तो दुनिया आपकी औकात देखती है
और जब जेब में रुपये न हो तो दुनिया अपनी औकात दिखाती है