इंसान ज़िंदगी में ग़लतियाँ करके उतना दुखी नहीं होता है; जितना कि वह बार-बार उन ग़लतियों के बारे में सोच कर होता है।
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इंसान ज़िंदगी में ग़लतियाँ करके उतना दुखी नहीं होता है; जितना कि वह बार-बार उन ग़लतियों के बारे में सोच कर होता है।
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