किस्मत से अपनी सबको शिकायत क्यों होती है; जो नहीं मिलता उसी से मोहब्बत क्यों होती है; कितने खाएं हैं धोखे इस मोहब्बत की राहों में; फिर भी आँखें उसी के इंतज़ार में क्यों रोती हैं।
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किस्मत से अपनी सबको शिकायत क्यों होती है; जो नहीं मिलता उसी से मोहब्बत क्यों होती है; कितने खाएं हैं धोखे इस मोहब्बत की राहों में; फिर भी आँखें उसी के इंतज़ार में क्यों रोती हैं।
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