पलट के आयेगी वो मैं इंतज़ार करता हूँ; क़सम खुदा की उसे अब भी प्यार करता हूँ; मैं जानता हूँ कि ये सब दर्द देते हैं मगर; मैं अपनी चाहतों पे आज भी ऐतबार करता हूँ।
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पलट के आयेगी वो मैं इंतज़ार करता हूँ; क़सम खुदा की उसे अब भी प्यार करता हूँ; मैं जानता हूँ कि ये सब दर्द देते हैं मगर; मैं अपनी चाहतों पे आज भी ऐतबार करता हूँ।
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