रोती हुई आँखो मे इंतज़ार होता है; ना चाहते हुए भी प्यार होता है; क्यों देखते हैं हम वो सपने; जिनके टूटने पर भी उनके सच होने का इंतज़र होता है!
रोती हुई आँखो मे इंतज़ार होता है; ना चाहते हुए भी प्यार होता है; क्यों देखते हैं हम वो सपने; जिनके टूटने पर भी उनके सच होने का इंतज़र होता है!
तेरे इन्तजार में हुई सुबह से शाम; तेरी चाहत में हुआ ये दिल बे-लगाम; तुझे पाने की आरजू मेरी जल्द हो पूरी; कि होंठों पे आता है सिर्फ तेरा ही नाम!
मेरी नज़रों में जो खुमार है उसका ही है; मेरे तस्सवुर में जो हिसार है उसका ही है; वो मेरे पास आये साथ चले रहे न रहे; मुझे तो बस अब इंतज़ार उसका ही है!
फांसले मिटा कर आपस में प्यार रखना; दोस्ती का यह रिश्ता हमेशा यूँ ही बरक़रार रखना; बिछड़ जाये कभी आप से हम; तो आँखों में हमेशा हमारा इंतज़ार रखना।
कुछ दिन से मेरे सामने आते नहीं हो तुम; आँखों में नूर बन के समाते नहीं हो तुम; सो रहा है गहरी नींद में एक उम्र से; इस बे-खबर को आ कर जगाते नहीं हो तुम।
दिल में इंतज़ार की लकीर छोड़ जायेंगे; आँखों में यादों की नमी छोड़ जायेंगे; ढूंढ़ते फिरोगे हमें हर जगह एक दिन; ज़िन्दगी में ऐसी अपनी कमी छोड़ जायेंगे।
प्यार उसे करो जो तुमसे प्यार करे; खुद से भी ज्यादा तुम पे ऐतबार करे; तुम बस एक बार कहो कि रुको दो पल; और वो उन दो पलों के लिए पूरी जिंदगी इंतज़ार करे!
जान से भी ज्यादा उन्हें प्यार किया करते थे; याद उन्हें दिन-रात किया करते थे; अब उन राहों से गुजरा नहीं जाता; जहाँ बैठकर उनका इंतज़ार किया करते थे।
नज़रों को तेरी मोहब्बत से इंकार नहीं है; अब मुझे किसी का इंतजार नहीं है; खामोश अगर हूँ ये अंदाज है मेरा; मगर तुम ये नहीं समझना कि मुझे प्यार नहीं है।
तेरे इंतज़ार में छोड़ा दुनिया का साथ; तेरे इंतज़ार में छोड़ा अपनों का साथ; जब तुझे जाना ही था तो क्यों दिया वादों का साथ; रह गया अब मैं बस अपने ग़मों के साथ।
तेरे इंतज़ार में यह नज़रें झुकी हैं; तेरा दीदार करने की चाह जगी है; न जानूँ तेरा नाम न तेरा पता; फिर भी न जाने क्यों इस पागल दिल में; एक अज़ब सी बेचैनी जगी है।
उस अजनबी से मुझे इतना प्यार क्यों है; इंकार करने पर भी चाहत का इकरार क्यों है; उसे पाना नहीं मेरी तकदीर में शायद; फिर हर मोड़ पे उसी का इंतज़ार क्यों है।
तेरे इंतज़ार में यह नजरें झुकी हैं; तेरा दीदार करने की चाह जगी है; ना जानू तेरा नाम ना तेरा पता; ना जाने क्यों इस पागल दिल में एक अनजानी सी बेचैनी जगी है।
लम्हा-लम्हा इंतज़ार किया उस लम्हे के लिए; और वो लम्हा आया भी तो बस एक लम्हे के लिए; गुज़ारिश है यह खुदा से कि काश; वो लम्हा फिर से मिल जाये बस एक लम्हे के लिए।
पलट के आयेगी वो मैं इंतज़ार करता हूँ; क़सम खुदा की उसे अब भी प्यार करता हूँ; मैं जानता हूँ कि ये सब दर्द देते हैं मगर; मैं अपनी चाहतों पे आज भी ऐतबार करता हूँ।