पर्व है पुरुषार्थ का दीप के दिव्यार्थ का; देहरी पर दीप जगमग एक जलता रहे; अंधकार से निरंतर युद्ध यह चलता रहे; हारेगी हर बार अंधियारे की घोर-कालिमा; जीतेगी जगमग उजियारे की स्वर्ण-लालिमा; झिलमिल रोशनी में निवेदित दिवाली की शुभकामना।
Like (2) Dislike (0)
Your Comment