आँखों से आँसू छलक पड़े बेरोजगारी के उस; अहसास पे ग़ालिब जब घर वाली ने कहा; ए जी खाली बैठे हो तो ये मटर ही छील दो ।
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आँखों से आँसू छलक पड़े बेरोजगारी के उस; अहसास पे ग़ालिब जब घर वाली ने कहा; ए जी खाली बैठे हो तो ये मटर ही छील दो ।
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