एग्ज़ाम हॉल में बैठकर हम यही सोचते हैं कि हमारी याददाश्त बहुत कमजोर है
लेकिन जिससे कभी प्यार किया हो और उसे भूलना चाहो
तो ऐसा लगता हैं जैसे सारी दुनिया के काजू-बादाम हमने ही खा रखे हों
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एग्ज़ाम हॉल में बैठकर हम यही सोचते हैं कि हमारी याददाश्त बहुत कमजोर है
लेकिन जिससे कभी प्यार किया हो और उसे भूलना चाहो
तो ऐसा लगता हैं जैसे सारी दुनिया के काजू-बादाम हमने ही खा रखे हों
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