ख़िरद वालों से हुस्न ओ इश्क़ की तन्क़ीद क्या होगी; न अफ़्सून-ए-निगह समझा न अंदाज़-ए-नज़र जाना। शब्दार्थ: अफ़्सून-ए-निगह = नज़र का जादू
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ख़िरद वालों से हुस्न ओ इश्क़ की तन्क़ीद क्या होगी; न अफ़्सून-ए-निगह समझा न अंदाज़-ए-नज़र जाना। शब्दार्थ: अफ़्सून-ए-निगह = नज़र का जादू
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