बचपन में जब धागों के बीच माचिस को फसाकर फोन-फोन खेलते थे तो मालूम नहीं था एक दिन इस फोन में ज़िंदगी सिमटती चली जायेगी।
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बचपन में जब धागों के बीच माचिस को फसाकर फोन-फोन खेलते थे तो मालूम नहीं था एक दिन इस फोन में ज़िंदगी सिमटती चली जायेगी।
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