शायद यह वक़्त हम से कोई चाल चल गया; रिश्ता वफ़ा का और ही रंगों में ढ़ल गया; अश्क़ों की चाँदनी से थी बेहतर वो धूप ही; चलो उसी मोड़ से शुरू करें फिर से जिंदगी ।
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शायद यह वक़्त हम से कोई चाल चल गया; रिश्ता वफ़ा का और ही रंगों में ढ़ल गया; अश्क़ों की चाँदनी से थी बेहतर वो धूप ही; चलो उसी मोड़ से शुरू करें फिर से जिंदगी ।
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