सो सुख पा कर भी सुखी न हो; पर एक ग़म का दुःख मनाता है; तभी तो कैसी करामात है कुदरत की; लाश तो तैर जाती है पानी में; पर ज़िंदा आदमी डूब जाता है!
Like (1) Dislike (0)
सो सुख पा कर भी सुखी न हो; पर एक ग़म का दुःख मनाता है; तभी तो कैसी करामात है कुदरत की; लाश तो तैर जाती है पानी में; पर ज़िंदा आदमी डूब जाता है!
Your Comment