अपनी ही तरह से परेशान है हर कोई; इस तपती धूंप के लिए कोई दरख़्त नहीं है; किसी के पास खाने के लिये रोटी नहीं है; और किसी के पास रोटी खाने का वक़्त नहीं है...
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अपनी ही तरह से परेशान है हर कोई; इस तपती धूंप के लिए कोई दरख़्त नहीं है; किसी के पास खाने के लिये रोटी नहीं है; और किसी के पास रोटी खाने का वक़्त नहीं है...
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