नज़र-नज़र में उतरना कमाल होता है; नफ़स-नफ़स में बिखरना कमाल होता है; बुलंदियों पे पहुंचना कोई कमाल नहीं; बुलंदियों पे ठहरना कमाल होता है।
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नज़र-नज़र में उतरना कमाल होता है; नफ़स-नफ़स में बिखरना कमाल होता है; बुलंदियों पे पहुंचना कोई कमाल नहीं; बुलंदियों पे ठहरना कमाल होता है।
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