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Taarif Shayari
अभी ज़िंदा हूँ लेकिन सोचता रहता
अभी ज़िंदा हूँ लेकिन सोचता रहता
अभी ज़िंदा हूँ लेकिन सोचता रहता हूँ ख़लवत में; कि अब तक किस तमन्ना के सहारे जी लिया मैंने।
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कौन कहता है के वो मुझसे
तमन्ना से नहीं तन्हाई से डरते
कुदरत के इन हसीन नज़ारों का
हमने तो ऊमर गुज़ार दी तन्हाई
निकलता नहीं है कोई दिल में
टूट जाते हैं सभी रिश्ते मगर;
कुछ पल में ज़िंदगी की तस्वीर
ज़िन्दगी की आखिरी शाम लिखते हैं;
फूल खिलतें हैं खिलकर बिछड़ जाते
रह ना पाओगे भुला कर देख
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