उस की चाहत का भरम क्या रखना; दश्त-ए-हिजरां में क़दम क्या रखना; हँस भी लेना कभी खुद पर मोहसिन ; हर घडी आँख को नम क्या रखना।
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उस की चाहत का भरम क्या रखना; दश्त-ए-हिजरां में क़दम क्या रखना; हँस भी लेना कभी खुद पर मोहसिन ; हर घडी आँख को नम क्या रखना।
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