फिर कहीं दूर से एक बार सदा दो मुझको; मेरी तन्हाई का एहसास दिला मुझको; तुम तो चाँद हो तुम्हें मेरी ज़रुरत क्या है; मैं दिया हूँ किसी चौखट पे जला दो मुझको।
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फिर कहीं दूर से एक बार सदा दो मुझको; मेरी तन्हाई का एहसास दिला मुझको; तुम तो चाँद हो तुम्हें मेरी ज़रुरत क्या है; मैं दिया हूँ किसी चौखट पे जला दो मुझको।
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