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Taarif Shayari
हम ही में थी न कोई
हम ही में थी न कोई
हम ही में थी न कोई बात याद न तुम को आ सके; तुम ने हमें भुला दिया हम न तुम्हें भुला सके।
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नज़र नवाज़ नज़रों में ज़ी नहीं
धोखा दिया था जब तूने मुझे;
न कोई इल्ज़ाम न कोई तंज़
जान मेरी तू क़त्ल कर दे
मौत से कहना की हम से
ज़िंदगी में बारबार सहारा नहीं मिलता;
ज़िन्दगी की आखिरी शाम लिखते हैं;
मोहब्बत मुक़द्दर है एक ख्वाब नहीं;
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फिर कहीं दूर से एक बार
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