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Taarif Shayari
हर मुलाक़ात का अंजाम जुदाई क्यों
हर मुलाक़ात का अंजाम जुदाई क्यों
हर मुलाक़ात का अंजाम जुदाई क्यों है; अब तो हर वक़्त यही बात सताती है हमें।
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टूटे हुए सपनो और छुटे हुए
तू मेरा सपना मेरा अरमान है;
सोचता हूँ कि अब तेरे दिल
रुठुंगा अगर तुजसे तो इस कदर
बेताब तमन्नाओं की कसक रहने दो;
तेरे पास जो है उसमें सबर
ज़िन्दगी की आखिरी शाम लिखते हैं;
सारा दिन लग जाता है खुद
कितना चाहता हूँ तुझे यह मुझको
तेरी हर अदा अब मोहब्बत सी
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