आपको अपने ज़ख्म दिखाना चाहता हूँ मैं; मगर क्या करूँ बहुत ही दूर हैं आप; आपको चाहता हूँ बनाना साथी अपना; मगर मानता हूँ रस्मों के हाथों मजबूर हैं आप।
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आपको अपने ज़ख्म दिखाना चाहता हूँ मैं; मगर क्या करूँ बहुत ही दूर हैं आप; आपको चाहता हूँ बनाना साथी अपना; मगर मानता हूँ रस्मों के हाथों मजबूर हैं आप।
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