चूमना क्या उसे आँखों से लगाना कैसा; फूल जो कोट से गिर जाये उठाना कैसा; अपने होंठों की हरारत से जगाओ मुझको; यूं सदाओं से दम-ए-सुबह जगाना कैसा!
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चूमना क्या उसे आँखों से लगाना कैसा; फूल जो कोट से गिर जाये उठाना कैसा; अपने होंठों की हरारत से जगाओ मुझको; यूं सदाओं से दम-ए-सुबह जगाना कैसा!
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