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Jeoulousy Shayari
कल बनूं धड़ के बिन; मल
कल बनूं धड़ के बिन; मल
कल बनूं धड़ के बिन; मल बनूं सिर हीन; पैर कटे तो थोडा रहूँ; अक्षर हैं कुल तीन।
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तुम मेरे भाई हो पर मैं
तीन पैरों वाली तितली नहा कर
सभी खाली स्थान में एक ही
एक पहेली सदा नवेली; जो बूझो
बड़ा बेसुरा बड़ा कुरूप; काला है
दुनियां भर की करता सैर धरती
न सीखा संगीत कहीं पर; न
ऐसा कौन सा काम है जो
ऐसा कौन सा जुर्म है जिसे
रमेश सुरेश के पीछे खड़ा है
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