होली पर अपने चेहरे को रंगों से सजाने की ज़रूरत क्या थी; इन हसीन नैन औ नक्श को रंगों के पीछे छुपाने की ज़रूरत क्या थी; हम तो कल भी आपको बन्दर समझते थे और आज भी आपको बन्दर ही समझते हैं; यह हकीकत ज़माने को बताने की ज़रूरत क्या थी?

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