आप को भूल जाऊं यह नामुमकिन सी बात है; आप को न हो यकीन यह और बात है; जब तक रहेगी साँस तब तक आप रहोगे याद; टूट जाये यह साँस तो यह और बात है।

कोई कहता है प्यार नशा बन जाता है! कोई कहता है प्यार सज़ा बन जाता है! पर प्यार करो अगर सच्चे दिल से तो वो प्यार ही जीने की वजह बन जाता है

रात को रात का तोफा नहीं देते
दिल को जजबात का तोफा नहीं देते
देने को तो हम आप को चाँद भी दे दे
मगर चाँद को चाँद का तोफा नहीं देते

कुछ मतलब के लिए ढूँढते हैं मुझको; बिन मतलब जो आए तो क्या बात है; कत्ल कर के तो सब ले जाएँगे दिल मेरा; कोई बातों से ले जाए तो क्या बात है।

क्यों किसी से इतना प्यार हो जाता है! एक पल का इंतज़ार भी दुश्वार हो जाता है! लगने लगते है अपने भी पराये! और एक अजनबी पर ऐतबार हो जाता है!

हर ख़ुशी से खूबसूरत तेरी शाम करूँ; अपना प्यार सिर्फ मैं तेरे नाम करूँ; मिल जाए अगर दोबारा ये ज़िंदगी; हर बार ये ज़िंदगी मैं तेरे नाम करूँ।

कभी लफ्ज़ भूल जाऊं कभी बात भूल जाऊं; तूझे इस क़द्र चाहूँ के अपनी ज़ात भूल जाऊं; उठ के तेरे पास से जो में चल दूँ; जाते हुए खुद को तेरे पास भूल जाऊं!

वो चांदनी का बदन ख़ुशबुओं का साया है; बहुत अज़ीज़ हमें है मगर पराया है; उतर भी आओ कभी आसमाँ के ज़ीने से; तुम्हें ख़ुदा ने हमारे लिये बनाया है।

आपके बिन टूटकर बिखर जायेंगे; मिल जायेंगे आप तो गुलशन की तरह हम खिल जायेंगे; अगर न मिले आप तो जीते जी मर जायेंगे; पा लिया जो आपको तो मर कर भी जी जायेंगे।

क्या मांगू खुदा से तुम्हें पाने के बाद; किसका करूँ इंतज़ार तेरे आने के बाद; क्यों इश्क़ में जान लुटा देते हैं लोग; मैंने भी यह जाना तुमसे इश्क़ करने के बाद।

चुराकर दिल मेरा वो बेखबर से बैठे हैं; मिलाते नहीं नज़र हमसे अब शर्मा कर बैठे हैं; देख कर हमको छुपा लेते हैं मुँह आँचल में अपना; अब घबरा रहे हैं कि वो क्या कर बैठे हैं।

​तु ही मिल जाए मुझे बस इतना ही काफी है​;​ मेरी हर सांस ने बस ये ही दुआ मांगी है​;​ जाने क्यूँ दिल खिंचा चला जाता है तेरी तरफ​;​ क्या तूने भी मुझे पाने की दुआ मांगी है​।

ज़रूरी काम है लेकिन रोज़ाना भूल जाता हूँ; मुझे तुम से मोहब्बत है मगर जताना भूल जाता हूँ; तेरी गलियों में फिरना इतना अच्छा लगता है; मैं रास्ता याद रखता हूँ मगर ठिकाना भूल जाता हूँ।

Kya Dhoondtey Ho Tum Ishq Ko Aye Bekhabar; Yeh Khud Hi Dhond Leta Hai Jisse Barbaad Karna Ho!

Aksar Log Apni Chahat Ki Taarif Karte Hein; Tanke Woh Khaafa Na Ho Jayein; Hum Isliye Khamosh Rehte Hein; Tanke Koi Aur Unpe Fida Na Ho Jaye!