चले भी आओ तसव्वुर में मेहरबां बनकर; आज इंतज़ार तेरा दिल को हद से ज्यादा है!

ये ना थी हमारी किस्मत कि विशाल-ए-यार होता; अगर और जीते रहते यही इंतज़ार होता।

मिट जाएगी मख्लूक़ तो इंसाफ करोगे; मुनासिब हो अगर तो हशर उठा क्यों नहीं देते।

मौत पर भी है यकीन उन पर भी ऐतबार है; देखते हैं पहले कौन आता है दोनों का इंतजार है।

रात बड़ी मुश्किल से खुद को सुलाया है मैंने; अपनी आँखों को तेरे ख्वाब का लालच देकर।

नज़र चाहती है दीदार करना; दिल चाहता है प्यार करना; क्या बतायें इस दिल का आलम; नसीब में लिखा है इंतजार करना।

आप सागर को एक बार मिल जाईए; इसकी मौत के आने से पहले; यह भी एक बार देख ले ज़िंदगी अपनी; इस ज़िंदगी को गँवाने से पहले।

नज़रें मेरी कहीं थक न जायें; बेवफा तेरा इंतज़ार करते-करते; ये जान यूँ ही निकल न जाये; तुम से इश्क़ का इज़हार करते-करते।

आँखों में बसी है प्यारी सूरत तेरी; और दिल में बसा है तेरा प्यार; चाहे तू कबूल करे या ना करे; हमें रहेगा तेरा इंतज़ार!

रात को जब चाँद सितारे चमकते हैं; हम हरदम फिर तेरी याद में तड़पते हैं; आप तो चले गए हो छोड़कर हम को; मगर हम मिलने को तरसते है।

पल-पल इंतज़ार किया एक पल के लिए; वो पल आया भी तो एक पल के लिए; अब तो हर पल इंतज़ार है उस पल के लिए; कि वो पल आये फिर से एक पल के लिए।

जीने की ख्वाहिश में हर रोज़ मरते हैं; वो आये न आये हम इंतज़ार करते हैं; झूठा ही सही मेरे यार का वादा; हम सच मान कर ऐतबार करते हैं।

अजीब सी कशिश हैं तुम में; कि हम तुम्हारे ख्यालों में खोये रहते है; ये सोचकर कि तुम ख्यालों में आओगे; हम दिन रात बस सोए रहते है।

इंतज़ार रहता है हर शाम तेरा; यादें काटती हैं ले-ले के नाम तेरा; मुद्दत से बैठे हैं तेरे इंतज़ार में; कि आज आयेगा कोई पैगाम तेरा!

​वो रुख्सत हुई तो आँख मिलाकर नहीं गई; वो क्यों गई यह बताकर नहीं गई; लगता है वापिस अभी लौट आएगी; वो जाते हुए चिराग़ बुझाकर नहीं गई।