कदमो को रुकने का हुनर नहीं आया
सभी मंजिले निकल गयी पर घर नहीं आया
कदमो को रुकने का हुनर नहीं आया
सभी मंजिले निकल गयी पर घर नहीं आया
इतना दर्द तो मरने से भी न होगा
जितना दर्द तेरी ख़ामोशी ने दिया था
ख़ज़ाने में थे सिर्फ़ दो आँसु मेरे
जब याद आयी आपकी तो वो भी लूट गए
चुइंगम की तरह चबाया करूं नाम तेरा
न हलक से उतरे न फेंकने का मन होय
पूछोगे दिमाग से तो कई दलीलें देगा
बात मान लो दिल की वो इश्क़ ही था
काश मेरा घर तेरे घर के करीब होता
बात करना न सही देखना तो नसीब होता
मैं अपने दुश्मन के भी गले लग जाऊँ
शर्त ये है वो तुझसे मिलकर आया हो
मेरी हर बात को उल्टा समझ लेते है वो
अब के पूछे तो कहना हाल बेहतर है
काश आंसुओ के साथ यादे भी बह जाती
तो एक दिन तस्सली से बैठ के रो लेते
जल गया अपना नशेमन तो कोई बात नहीं
देखना ये है कि अब आग किधर लगती है
तुम ने देखी नही फुलो की वफा
वो जीस पर खीलते हे उसी पे मुरजा जाते हे
99% यकिन था कि तू मेरा नही होगा पर
उस 1% ने मुझे किसी का होने भी नही दिया
याद नहीं मै रूठी थी या वो रूठा था
साथ हमारा बस जरा सी बात पे छूटा था
कोई इल्जाम रह गया हो तो वो भी दे दो
हम पहले भी बुरे थे अब थोड़ा और सही
कभी हमसे भी पूछ लिया करो हाल ए दिल
कभी हम भी ये कह सके कि दुआ है आपकी