जब भी मौका मिलेगा ना, तो ,, जिस्म पे नही सीधे घाव पर वार करुंगा..... ((मा कसम))
जब भी मौका मिलेगा ना, तो ,, जिस्म पे नही सीधे घाव पर वार करुंगा..... ((मा कसम))
न देखूँ तो भी बेचैनी देख लूँ तो भी बेचैनी
ये तेरा दीदार WhatsApp के blue tick जैसा
नमक की तरह हो गयी है जिंदगी
लोग स्वादानुसार इस्तेमाल कर लेते हैं
बता दो हमे भी ऐ दोस्त
जाग रहे हो किसी की याद मे या फिर अभी तक सोए नही
दर्द नसीब से मिलता है मेरी जान औक़ात
कहाँ है तेरी मुझे तड़पाने की
जो ईश्वर के सामने झुकता है
ईश्वर उसे किसी के सामने झुकने नही देता
हो रही है साजिश मेरी बर्बादी की
कर रहे बुजुर्ग बातें मेरी शादी की
इतनी क्या जल्दी है मुझे छोड़ने की
अभी तो हद बाकी है मुझे तोड़ने की
जिंदगी तो कुवारे आदमी की होती है
शादीशुदा आदमी की तो बीवी होती है
जब मोहब्बत हो ना किसी को तो याद रखना
शुरुवात झूठे वादों से होती है
ख्वाइशों से भरा पड़ा है घर इस कदर
रिश्ते ज़रा सी जगह को तरसतें हैं
मांग लूँ यह मन्नत की फिर वही जहाँ मिले, फिर वही गोद, फिर वही माँ मिले...
चाँदनी की चमक से मुझे कोई गरज नही
एक चाँद को दिल में अकसर देखता हूँ
तमाम लोग मेरे साथ थे मगर मैं तो....
तमाम उम्र तुम्हारी कमी के साथ रहा....
तोड़ कर देख लिया आईना-ए-दिल तूने
तेरी सूरत के सिवा और बता क्या निकला