हमें उनकी इबादत से फुर्सत नहीं मिलती; लोग ना जाने किसको खुदा कहते है; दिल में रखा हैं उनको फिर भी; जाने क्यों लोग हमें जुदा कहते है।

सिर्फ चाहने से कोई बात नहीं होती! सूरज के सामने कभी रात नहीं होती! हम चाहते है जिन्हें जान से भी ज्यादा! वो सामने है पर बात भी नहीं होती!

कोई वादा नहीं फिर भी तेरा इंतज़ार है! जुदाई के बाद भी तुम से प्यार है! तेरे चेहरे की उदासी बता रही है! मुझसे मिलने के लिये तू भी बेकरार है!

उन्हें चाहना हमारी कमज़ोरी है; उनसे कह ना पाना हमारी मजबूरी है; वो क्यूँ नहीं समझते हमारी खामोशी को; क्या प्यार का इज़हार करना ज़रूरी है।

लहरों से मिलकर न वो बह सके न हम; एक दूजे के दिल में न वो रह सके न हम; जीत लेते आसमां एक दिन; लेकिन पलकों की ख़ामोशी को होठों से न वो कह सके न हम!

वो दर्द ही क्या जो आँखों से बह जाए; वो खुशी ही क्या जो होठों पर रह जाए; कभी तो समझो मेरी खामोशी को; वो बात ही क्या जो लफ्ज़ आसानी से कह जायें।

फ़िज़ा में महकती शाम हो तुम; प्यार में झलकता जाम हो तुम; सीने में छुपाए फिरते हैं हम यादें तुम्हारी; इसीलिए मेरी ज़िंदगी का दूसरा नाम हो तुम!

खुदा से भी पहले तेरा नाम लिया है मैंने; क्या पता तुझे कितना याद किया है मैंने; काश सुन सके तू धड़कन मेरी; हर सांस को तेरे नाम से जिया है मैंने।

कुछ लिख नहीं पाते कुछ सुना नहीं पाते! हाल-ऐ-दिल जुबान पर ला नहीं पाते! वो उतर गए हैं दिल की गहराइयों में! वो समझ नहीं पाते और हम समझा नहीं पाते!

तेरी ख़ामोशी हमारी कमजोरी हैं; कह नहीं पाना हमारी मज़बूरी हैं; क्यों नहीं समझते हमारी खामोशियो को; क्या खामोशियो को जुबान देना जरुरी है।

पूछो ना उस कागज़ से जिस पे; हम दिल के मुकाम लिखते है; तन्हाइयों में बीती बातें तमाम लिखते है; वो कलम भी दीवानी हो गई; जिस से हम आप का नाम लिखते है।

कोई प्यार पाने की ज़िद्द में है; शायद कोई हमें आजमाने की ज़िद्द में है; हम जिसे याद करते हैं इतनी शिद्दत से; शायद वो हमें भुलाने की ज़िद्द में है।

इस दिल को अगर तेरा एहसास नहीं होता; तो दूर भी रह कर के यूँ पास नहीं होता; इस दिल ने तेरी चाहत कुछ ऐसे बसा ली है; एक लम्हा भी तुझ बिन कुछ खास नहीं होता।

अपनी आँखों के समुंदर में उतर जाने दे; तेरा मुज़रिम हूँ मुझे डूब के मर जाने दे; ज़ख़्म कितने तेरी चाहत से मिले हैं मुझको; सोचता हूँ कहूँ तुझसे मगर जाने दे!

बात कह दी जाए जुबां से जरूरी तो नहीं; जिंदगी गुजरी है आधी पूरी तो नहीं; समझेंगे वो निगाहों से मेरे दिल की दास्ताँ; दूर बैठे हैं दिलों में दूरी तो नहीं।