ना वो कुछ कहते हैं ना कुछ हम कहते हैं; मगर निगाहें बहुत कुछ होंठ कुछ कम कहते हैं; हम चाहते हैं कुछ वो कहें कुछ हम कहें; बात यही हम बार-बार तुझसे सनम कहते है।

बनके आंसूं आँख से हम बह सकते नहीं! दिल में उनके है जगह पर हम ही रह सकते नहीं! दुनिया भरके हमसे शिकवे लाख हमसे हैं गिले! अपने दिल की बात हाये हम ही कह सकते नहीं!

न जाने क्यों उससे प्यार करता हूँ मैं; न जाने क्यों उसपे जान निस्सार करता हूँ मैं; यह जानता हूँ वह देगा धोखा एक दिन; फिर भी जाने क्यों उसपे ऐतबार करता हूँ मैं।

उस के साथ रहते रहते हमें चाहत सी हो गयी; उससे बात करते करते हमें आदत सी हो गयी; एक पल भी न मिले तो न जाने बेचैनी सी रहती है; दोस्ती निभाते निभाते हमें मोहब्बत सी हो गयी।

जज़्बात मेरे कहीं कुछ खोये हुए से हैं; कहूँ कैसे हम उनसे थोड़ा शर्माए हुए से हैं; पर आज न रोक सकूंगा जज़्बातों को मैं अपने; करते हैं प्यार हम उनसे पर थोड़ा घबराये हुए से हैं।

मिला वो भी नहीं करते मिला मैं भी नहीं करता; वफ़ा वो भी नहीं करते वफ़ा मैं भी नहीं करता; ये भी सच है कि मोहब्बत उन्हें भी है मोहब्बत मुझे भी है; मगर इज़हार वो भी नहीं करते इक़रार मैं भी नहीं करता।

उसको चाहा दिल-ओ-जान से पर इज़हार करना नहीं आया; कट गयी सारी उम्र मगर हमें इश्क़ करना नहीं आया; उसने हमसे कुछ माँगा भी तो माँग ली जुदाई; इश्क़ में उसके डूबे थे हम इस कदर कि हमें इंकार करना नहीं आया।