तुमने कहा था हर शाम तेरे साथ गुजारेगे,
तुम बदल चुके हो या फिर तेरे शहर में शाम ही नहीं होती?
तुमने कहा था हर शाम तेरे साथ गुजारेगे,
तुम बदल चुके हो या फिर तेरे शहर में शाम ही नहीं होती?
एक वो पगली हैं जो मुझे
समझती नहीं...
और यहाँ जमाना मेरी शायरी पढ़कर दीवानाहुआ जा रहा है..!!
ये तेरे याद के बादल जो बसते हे इन आँखों में काजल की तरह
यूँ बेवजह बरस जाना तो इनकी आदत ना थी
मैं ज़हर तो पी लूँ शौक से तेरी खातिर
पर शर्त ये है कि तुम सामने बैठ कर साँसों को टुटता देखो
लडकी तो कभी पटाई नहीँ पर बदनाम तो ऐसे हो रहे है
जैसे 100 रानी यों का अकेला बादशाह हूँ
ये तेरे याद के बादल जो बसते हे इन आँखों में काजल की तरह
यूँ बेवजह बरस जाना तो इनकी आदत ना थी
तुमने कहा था हर शाम तेरे साथ गुजारेगे,
तुम बदल चुके हो या फिर तेरे शहर में शाम ही नहीं होती?
मैं क्यूँ कुछ सोच कर दिल छोटा करूँ कि वो बेवफा थी
वो उतनी ही वफ़ा, कर सकी जितनी उसकी औकात थी
" मर जाने के लिये थोडा सा जहर काफि है दोसतो
मगर,
जिंदा रहने के लिये काफि जहर पीना पडता है"
मेरी पागल सी मोहब्बत तुम्हे बहुत याद आएगी
जब हँसाने वाले कम और रुलाने वाले ज्यादा होंगे
किसी मूर्ख से कभी तर्क ना करें
अन्यथा लोग यह नहीं पहचान पाएंगे की वास्तव में मूर्ख कौन है
कल रात मैंने अपने सारे ग़म कमरे की दीवारों पे लिख डाले
बस हम सोते रहे और दीवारें रोती रहीं
बचपन में जब चाहा हँस लेते थे जहाँ चाहा रो सकते थे
अब मुस्कान को तमीज़ चाहिए अश्कों को तनहाई
तुम्हारी ज़िद बेमानी है दिल ने हार कब मानी है
कर ही लेगा वश में तुम्हें आदत इसकी पुरानी है
मजबूरियों के दौर में जान से भी ज्यादा प्यारे लोग..
बेशक बेवफा ना हों....पर बदल जरुर जाते हैं....।