दुनियाँ को इस का चेहरा दिखाना पड़ा मुझे
पर्दा जो दरमियां था हटाना पड़ा मुझे
रुसवाईयों के खौफ से महफिल में आज
फिर इस बेवफा से हाथ मिलाना पड़ा मुझे

" बुलबुल के परो में बाज़ नहीं होते,
कमजोर और बुजदिलो के हाथो में राज नहीं होते ,
जिन्हें पड़ जाती है झुक कर चलने की आदत ,
उन सिरों पर कभी ताज नहीं होते। "

यकीन था कि तुम भूल जाओगे मुझे.,
खुशी है कि तुम उम्मीद पर खरे उतरे.!
पूछा जो हमने किसी और के होने लगे हो क्या ?
वो मुस्कुरा के बोले … पहले तुम्हारे थे क्या .?

वफाओं ​की बातें की हमने जफ़ाओं के सामने​;​​ ले चले हम चिराग़ हवाओं के सामने​;​​ उठे हैं जब भी हाथ बदली हैं क़िस्मतें​;​ मजबूर है ​खुदा भी दुआओं के सामने​। ​ ​

लोग हमेंशा मुजसे पुछते है भाई तु कभी भी स्माईल नहि करता क्यों
मै भी ans मे कह देता हू जीस दिन ईस भाई ने स्माईल कर दि ना
उस दिन तेरी वाली भी तुजे भाई हि कहेगी

चलो आज खामोश प्यार को इक नाम दे दें
अपनी मुहब्बत को इक प्यारा अंज़ाम दे दें
इससे पहले कहीं रूठ न जाएँ मौसम अपने
धड़कते हुए अरमानों एक सुरमई शाम दे दें

वो हर बार अगर रूप बदल कर न आया होता,
धोका मैने न उस शख्स से यूँ खाया होता,
रहता अगर याद कर तुझे लौट के आती ही नहीं,
ज़िन्दगी फिर मैने तुझे यु न गवाया होता।

लड़केवाले - क्या क्या बना लेती है आप की बेटी
लड़कीवाले - मॅगी बंद होने के बाद अब क्या तारीफ करे इसकी, ये सेल्फ़ी लेते समय 5 अलग अलग तरह के मुँह बना लेती है ।। 😀😀😀

जानते थे कि नहीं हो सकते कभी तुम हमारे; फिर भी खुदा से तुम्हें माँगने की आदत हो गयी; पैमाने वफ़ा क्या है हमें क्या मालूम; कि बेवफाओं से दिल लगाने की आदत हो गयी।

कहती है दुनिया जिसे प्यार नशा है खताह है! हमने भी किया है प्यार इसलिए हमे भी पता है! मिलती है थोड़ी खुशियाँ ज्यादा गम! पर इसमें ठोकर खाने का भी कुछ अलग ही मज़ा है!

कौन कहता है इश्क़ में बस इकरार होता है
कौन कहता है इश्क़ में बस इंकार होता है
तन्हाई को तुम बेबसी का नाम ना दो
क्यूंकि इश्क़ का दूसरा नाम ही इंतज़ार होता है.

​कहाँ से ​लाऊ हुनर उसे मनाने का​;​कोई जवाब नहीं था उसके रूठ जाने का​;​मोहब्बत में सजा मुझे ही मिलनी थी​;​क्यूंकी जुर्म मैंने किया ​था ​उससे दिल लगाने का​।

शराफत से रह रहे है रहने दो जब मन हुआ इस कातिल दुनिया पे राज करने का
तो ना गोली चलेगी ना तलवार हमारी मोजडी के निशान देखकर लोग बोलेंगे ये बापु का साम्राज्य है

यूँ ही नही मिलती राही को मंजिल , एक जूनून सा दिल में जगाना होता है . पूछा चिड़िया से कैसे बना आशियाना तो बोली - भरनी पड़ती है उड़ान बार बार तिनका तिनका उठाना होता है.

हम तो मौजूद थे रात में उजालों की तरह​;
लोग निकले ही नहीं ​ढूंढने वालों की तरह​;
दिल तो क्या हम रूह में भी उतर जाते​;
उस ने चाहा ही नहीं चाहने वालों की तरह​।