तेरी चौखट से सिर उठाऊं तो बेवफा कहना; तेरे सिवा किसी और को चाहूँ तो बेवफा कहना; मेरी वफाओं पे शक है तो खंजर उठा लेना; शौंक से मर ना जाऊं तो बेवफा कहना।

हसरत है सिर्फ़ तुम्हे पाने की,
और कोई ख्वाईश  नही इस दीवाने की,
शिकवा मुझे तुमसे नही खुदा से है,
क्या ज़रूरत थी तुम्हे इतना खूबसरत बनाने की ..!
er kasz

दुनियाँ को इसका चेहरा दिखाना पड़ा मुझे; पर्दा जो दरमियां था हटाना पड़ा मुझे; रुसवाईयों के खौफ से महफिल में आज; फिर इस बेवफा से हाथ मिलाना पड़ा मुझे।

लड़के की जमकर पिटाई करने के बाद
लोगो ने लडकी और उसकी स्कूटी को
उठा कर पूछा....
कहीं चोट तो नहीं लगी..?
लडकी- नहीं! रोज का काम है
स्कुटी सीख रही हूं।

हर पल कुछ सोचते रहने की आदत गयी है; हर आहट पे च चौंक जाने की आदत हो गयी है; तेरे इश्क़ में ऐ बेवफा हिज्र की रातों के संग; हमको भी जागते रहने की आदत हो गयी है।

किसी को युँ रुलाया नहीं करते
झूठे खवाब किसी को दिखाया नहीं करते
अगर कोई आपकी जिन्दगी में खास नहीं है
तो उससे रह-रह कर ये एहसास दिलाया नहीं करते

दो दिलों की धड़कनों में एक साज़ होता है; सबको अपनी-अपनी मोहब्बत पर नाज़ होता है; उसमें से हर एक बेवफा नहीं होता; उसकी बेवफ़ाई के पीछे भी कोई राज होता है!

शिष्य ने बुद्ध से पुछा,"ज़हर क्या होता है"?
बुद्ध ने बहुत सुन्दर जवाब दिया...
..."हर वो चीज़ जो ज़िन्दगी में आवश्यकता से अत्यधिक होती है वही ज़हर होती है..."

मत ज़िकर कीजिये मेरी अदा के बारे में; मैं बहुत कुछ जानता हूँ वफ़ा के बारे में; सुना है वो भी मोहब्बत का शोक़ रखते हैं; जो जानते ही नहीं वफ़ा के बारे में।

मत मुस्कुराओ इतना की फूलो को खबर लग जाये
हम करें आपकी तारीफ और आपको नजर लग जाये
खुदा करे बहुत लम्बी हो आपकी जिंदगी
और उस पर भी हमारी उम्र लग जाये

आरज़ू होनी चाहिये किसी को याद करने की,
लम्हें तो अपने आप ही मिल जाते हैं ..
कौन पूछता है पिंजरे में बंद पंछियों को,
याद वही आते हैं, जो उड़ जाते हैं ….!

इश्क ओर दोस्ती मेरे दो जहान है
इश्क मेरी रुह तो दोस्ती मेरा ईमान है
इश्क पर तो फिदा करदु अपनी पुरी जिंदगी पर दोस्ती पर मेरा इश्क भी कुर्बान है
er kasz

जब जब नींद आती हे तो ख्वाब आते है
जब जब ख्वाब आते हे तो ख्वाबो मे आप आते है
ओर जब आपके साथ आपके बाप नज़र आते है…
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तो ना नींद आती हे ओर ना ख्वाब आते है.

लोग हमेंशा मुझे पूछते है कि भाई तु कभी भी स्माईल नहि करता क्यों
मैंने भी कह दिया जिस दिन इस भाई ने स्माईल कर दी ना उस दिन तेरी वाली भी तुझे भाई ही कहेगी

किस्मत से अपनी सबको शिकायत क्यों है
जो नहीं मिल सकता उसी से मुहब्बत क्यों है
कितने खायें है धोखे इन राहों में
फिर भी दिल को उसी का इंतजार क्यों है