दिमाग पर ज़ोर लगाकर गिनाते हो गलतियाँ मेरी
कभी दिल पर हाथ रख के पूछना कि कसूर किसका था
दिमाग पर ज़ोर लगाकर गिनाते हो गलतियाँ मेरी
कभी दिल पर हाथ रख के पूछना कि कसूर किसका था
वो कामयाबी ही क्या जो अपनों को भुला दे
और वो नाकामी ही क्या जो सारी उम्र के लिए रुला दे
दिल के छालो को कोई शायरी कहे तो दर्द नही होता
तकलीफ तो तब होती है जब कोई वाह वाह करता है
चलो मान लिया हमें मोहब्त करना नही आता
लेकीन ये तो बताओ तूम्हे दिल तोडना किसने सिखाया
हो जा मेरी फिर तुझे इतनी मोहब्बत दूँगा कि
लोग हसरत करेँगे तेरे जैसा नसीब पाने के लिये
इंसान की फितरत को समझते हैं ये परिंदे,
कितनी भी मोहब्बत से बुलाना मगर पास नहीं आयेंगे
इससे बढ़कर तुझे और कितना करीब लाँऊ मैं
तुझे दिल में रखकर भी तुझ बिन मेरा दिल नहीं लगता
ये नजर चुराने की आदत आज भी नहीं बदली उनकी...
कभी मेरे लिए जमाने से और अब जमाने के लिए हमसे...
वर्षों बाद जब,आइना देखा तो आइना हैरान था
गुजरते वक़्त के साथ ये शख्स कितना बिखर गया है.
कुछ इस तरह वो मेरी बातों का ज़िक्र किया करती है.... सुना है वो आज भी मेरी फिक्र किया करती है....!!
हाथ जख्मी हुए तो कुछ हमारी भी गलतियाँ थी.. लकीरों को मिटाने चले थे, किसी एक को पाने के लिए...!!! !!
इज़्ज़त खोकर आन बचाने की आदत नही अपनी
वरना जवाब वो भी हैं मेरे पास की सवाल ही पैदा ना हो
यूं अकड़ मे रहना बंद कर दे पगली वो तो प्यार है तुझसे
वरना गरज तो किसी के बाप की भी नहीं है
मैं थोड़ी देर तक बैठा रहा उसकी आँखों के मैखाने में;
दुनिया मुझे आज तक नशे का आदि समझती है...
कुछ इस तरहा से सौदा कीया मुझसे मेरे वक़्त ने
तजुर्बे देकर वो मुझसे मेरी नादानीया ले गया