फ़िर एक भीड़ भरा दिन
और अकेलापन तलाश करती रात

चंपा के दस फुल, चमेली की एक कली,मुरख की सारी रात, चतुर की एक घडी.

जो उनकी आँखों से बयां होते है
वो लफ्ज़ किताबो में कहाँ होते है

इश्क वो नहीं जो तुझे मेरा करदे
इश्क वो है जो तुझे किसी और का ना होने दे

परवाह नहीं चाहे जमाना कितना भी खिलाफ हो
,चलूँगा उसी राह पर जो सीधी और साफहो…!

अक्सर तन्हाई में सोच कर हँस देता हूँ की मुझे
सब याद है लेकिन मैं किसी को याद नही

खूबसूरती से धोका न खाइये जनाब
तलवार कितनी भी खूबसूरत क्यों न हो मांगती तो खून ही है
G.R..s

तेरे संग भीगूँ मैं मोहबत्त की बरसात में
खुदा करे उसके बाद तेरे इश्क का मुझे बुख़ार हो जाये

बारूद मेरे अन्दर का भीग गया मेरे ही आंसुओं से वरना
ये दिल एक बड़ी घटना को अंजाम दे देता

ना मेरी नियत बुरी थी
ना उसमे कोई बुराई थी
सब मुक़द्दर का खेल था

बस किस्मत में जुदाई थी

हम न खंजर न त्रिशूल रखते है, मुहब्बत वाले उसूल रखते है,
नफरते आपको मुबारक हो, हम तो हाथोँ मे फूल रखते है

ये बेवफा वफा की कीमत क्या जाने
है बेवफा गम-ऐ मोहब्बत क्या जाने
जिन्हे मिलता है हर मोड पर नया हमसफर
वो भला प्यार की कीमत क्या जाने

बिना तड़के की दाल और
बिना attitude वाला माल हमे बिलकुल पसंद नहीं है

जो ईश्वर के सामने झुकता है
ईश्वर उसे किसी के सामने झुकने नही देता

तू बिल्कुल चांद की तरह है ए सनम
नूर भी उतना ही गरुर भी उतना ही और दूर भी उतना ही